सामुदायिक वन संसाधन अधिकार व पेशा कानून पर बैगा जनजाति का जिला स्तरीय सम्मेलन कांदावानी में आयोजित, आनंद सिंह बतौर मुख्यअतिथि आमंत्रित


*उक्त आयोजन के समाप्ति के बाद आनंद सिंह ने बैगा आदिवासी भाई-बहनों को सामूहिक भोजन परोसा व अंत मे उनके साथ भोजन ग्रहण किया*


रायपुर। ग्राम पंचायत कांदावानी के आश्रित ग्राम कान्हा खैरा में प्रेरक संस्था कबीरधाम के तत्वधान में ग्राम ढपरहा, छीरपानी, महारानी टोला, ढेंगा टोला, धुरशी, पटपरहि, बाहपानी, भललिन दादर, रुख़मी दादर, बासाटोला, नवाटोला के बीहड़ जंगलों में रहने वाले बैगा जनजातियों के द्वारा अपनी जल जंगल जमीन की वनाधिकार व पेशा कानून के लिए विशाल जिला स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें बतौर मुख्य अतिथि के रूप में पंडरिया विधानसभा क्षेत्र के समाजसेवक श्री आनंद सिंह को क्षेत्रीय बैगा आदिवासी भाइयो द्वारा विशेष आमंत्रित कर बुलाया गया, साथ ही फूलबाई सोनी ग्राम पंचायत सरपंच नेऊर, कृष्णा परस्ते ग्राम पंचायत कुल्ही डोंगरी सरपंच व श्री राम प्रसाद माठले ग्राम पंचायत कांदावानी सरपंच व अन्य बैगा सामाजिक प्रमुखों के अध्यक्षता में समुदायिक वन संसाधन पर अपनी बात रखते हुए बैगा जनजातियों को उनके अधिकार के प्रति उन्हें जागरूक किया जिसमें कटोरी बाई बैगा ने अपनी जंगल की रखरखाव पेड़ पौधों को ना काटने , जंगल में आग ना लगाने, जड़ी बूटी कंदमूल को अपने जंगल में सुरक्षित रखने सभी गांव के लोगों को जागरूक कर विस्तृत जानकारी दी उसके उपरांत कादावानी भूतपूर्व सरपंच धर्मसिंह बैगा ने समूचे विषय पर अपनी बात रखी 

अंत मे कार्यक्रम के मुख्यातिथि जनसेवक आनंद सिंह के द्वारा उपस्थित बैगा आदिवाशी भाई-बहनो व युवाओ को जागरूक करते हुए पेसा कानून अधिनियम व सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के कानून की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि आप सभी को स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक उन्नति के साथ आगे बढ़ना है यह जल जंगल जमीन सर्वप्रथम आपका अधिकार है यह प्रदेश सहित हमारे देश के लोगो के लिए जीवन पूंजी है जिसकी रक्षा, सुरक्षा सर्वप्रथम आपकी हमारी जवाबदारी है जंगलों से वनों उपज चार, चिरौंजी, महुआ, तेंदू पत्ता, बहेरा, हरा कुसुम, लाख, भेलवा, नीम पत्ती, वन तुलसा, और कंदमूल कोसा, कांदा, करू कांदा, टुकुरू कांदा, कोचई कांदा, जिमी कांदा, पाताल, कोहड़ा, पानी में रहने वाले कांदा भाजी, साग भाजी, प्राणी एवं पक्षी जीव, जन्तु, पेड़, पौधा व जंगल में पाए जाने वाले पेड़ पौधों से हमारे जीवन से जुड़े जड़ी - बूटी , औषधियां यही हमारी आर्थिक, सामाजिक और हमारे परम्पराओ से जुड़ी प्राचीनतम अतुलनीय संपदा है जिसे हमे सदैव संरक्षित रखते हुए समाज की दशा दिशा सुधारकर आगे ले जाना होगा ताकि आने वाली पीढ़ी इन सभी चीजों को जानकर इनका सदुपयोग कर सके 

*उक्त आयोजन में परपुरा बैगा, इतवारी, समाज मुखिया सम्रत पटेल दीवान, रतिराम बैगा, प्रीत राम बैगा का मोहन बैगा, सुंदर बैगा संहित जनजाति के सैकड़ों की संख्या में लोगों ने भाग लिया, जिसमें गांव बचाओ समिति के संयोजक कृष्ण कुमार परस्ते जी के द्वारा समूचे कार्यक्रम का संचालन किया गया ।


 *इस विशाल बैगा आदिवासी सम्मेलन का मुख्य बिंदु जिसमे अपने गांव के पारंपरिक संसाधनों पर अनुसूचित जनजातियों अन्य पारंपरिक वन निवासियों विशेष कर कमजोर सामाजिक कमजोर वर्गों को कृषि पूर्व समुदाय चरवाहों व घुमन्तु जनजातियों के अधिकारों, गोचर भूमि का मौसमी उपयोग सहित जल निकायों के उपयोग पर विस्तृत चर्चा हुई समुदायिक वन संसाधन के अधिकार और पेशा कानून के साथ बैगाओ के लिए क्या अधिकार है और विशेष करके पीवीजीटी परिवार के लिए इन कानूनों को क्यो और किस तरह तैयार किया गया है व इस कानून से क्षेत्र के बैगा आदिवासी भाई, बहनो, युवाओ को किस तरह लाभ पहुचाया जा सकता है यह सभी मुख्य बिंदु रही उक्त आयोजन को कृष्ण कुमार परस्ते उनकी टीम व जनसेवक आनंद सिंह द्वारा लगातार अन्य अलग अलग बैगा जनजाति के क्षेत्रों में आगे निरन्तर गति से जागरूकता के उद्देश्य से निरंतर आयोजित किया जाएगा ताकि पिछड़े बैगा आदिवासी क्षेत्रो में उन्नति के नए आयाम खुल सके जिसमे स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक उन्नति विकसित हो सके ।

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